कोल्हानम – उपन्यास
(झारखण्ड के जंगल-पहाड़ों में सनातन संपर्कों को तलाशती ईसा-पूर्व 100 की महागाथा)
Kolhanam(Historical Fiction) in Hindi by Dr. Mithilesh Kumar Choubey
ISBN: 978-93-5416-405-7 ASIN: B08L3D7VTH
लेखक : डॉ० मिथिलेश कुमार चौबे
ISBN: 978-93-5416-405-7
ASIN: B08L3D7VTH
प्रकाशन का वर्ष : अक्टूबर 2020
उपलब्धता: पेपर बैक( 150 रूपये)
हार्डकॉपी(Paper Back) कैसे मंगवायें?
जमशेपुर रिसर्च रिव्यु के बैंक अकाउंट में 150 रूपये पुस्तक के मूल्य के रूप में जमा करें तथा भुगतान की रसीद की फोटो तथा अपना पता editorjrr@gmail.com पर भेज दें. चार दिनों के अन्दर यह पुस्तक स्पीड-पोस्ट के माध्यम से आपके पते पर पहुँच जाएगी.
भुगतान कैसे करें?
- In favour of: Jamshedpur Research Review
- A/C No. 33673401796
- IFS Code: SBIN0000096
- State Bank of India
- Bistupur, Jamshedpur Main Branch, Ph-09334077378
- अमेजन सेसॉफ्ट कॉपी(Kindle) मंगाने के लिए नीचे क्लिक करेंअगर आप इस पुस्तक को ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो इसे Kindle पर मात्र 50 रूपये में सेऑनलाइन खरीद सकते हैं. खरीदने लिए यहाँ क्लिक करें:↓
कोल्हानम – विषयवस्तु
भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा झारखण्ड में कई प्रागैतिहासिक असुर-स्थलों, शिलाचित्रों, प्राचीन मंदिरों आदि की खोज की गई है. कोल्हानम में इन्हीं पुरातात्विक साक्ष्यों की पृष्ठभूमि में इन वनवासियों की शौर्य-गाथाओं तथा उनकी वर्तमान चुनौतियों को रेखांकित करता यह उपन्यास, जनजातियों के इतिहास को भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं को वर्तमान सन्दर्भ में प्रस्तुत करता है, तथा अपने कथ्य के माध्यम से झारखण्ड के जंगल और पठार में युद्ध स्तर पर जारी धर्म परिवर्तन के जूनून तथा इतिहास-लेखन के नाम पर होने वाले बौद्धिक घोटालों और साजिशों की बेहद सूक्ष्मता से परतें उधेड़ता है।
इस उपन्यास में जिन ऐतिहासिक घटनाओं और स्थानों का जिक्र किया गया है, वे किसी न किसी रूप में भारतीय पुरातात्विक विभाग के नवीनतम उत्खननों, प्राचीन बौद्ध ग्रंथो, इतिहास की मानक पुस्तकों में उपलब्ध है तथा आधुनिक इतिहासकारों द्वारा उद्धरित है।
इस उपन्यास में वर्णित स्थान, जैसे: मुंडेश्वरी मंदिर (कैमूर), टंगीनाथ धाम (गुमला), हंसा (खूंटी), सरिद्केल (खूंटी), तसना एवं करकरी, नदियाँ (खूंटी), सीताकुंड (हजारीबाग),सरजमहातू (चाईबासा), हाराडीह (राँची) इत्यादि वर्तमान झारखण्ड राज्य में पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं।
इस उपन्यास में इस क्षेत्र की दो प्रमुख जनजातियों; असुरों और मुंडाओं के मगध के मौर्य, शुंग और कण्व और दक्षिण के आंध्र-भृत्य सातवाहन राजवंशों के साथ ईसा-पूर्व संबंधों का दिलचस्प वर्णन है। कोल्हानम् में सम्राट अशोक, पुष्यमित्र शुंग और आंध्रभृत गौतमी-पुत्र शतकर्णी का चरित्र-चित्रण रूढ़िबद्ध न होकर बल्कि आधुनिक अनुसंधानों के आधार पर किया गया है। कोल्हानम् कीकहानी में ‘तिस्स’ जैसे कुछ ऐसे चरित्रों को भी शामिल किया गया है, जिनकी चर्चा बौद्ध इतिहासकारों द्वारा की गई है, लेकिन उन्हें इतिहास की किताबों में अधिक महत्व नहीं दिया गया है। इस कहानी में ‘नागवंश’ और ‘बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायियों की चर्चा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के आलोक में अलग सन्दर्भ में गई है.
पाठकों की राय –